Friday, November 13, 2015

आजादी और रोटी : Hindi Story

आजादी और रोटी : Hindi Story

एक कुत्ते की एक भेड़िये से
दोस्ती हो गई ।
हुआ यह कि कुत्ता भेड़िये का
पीछा कर रहा था ।
कुत्ता खूब तगड़ा और भेड़िया कुछ
कमज़ोर था ।
भेड़िया भागते भागते थक गया
और एक तालाब के किनारे सुस्ताने
लगा ।
कुत्ता तालाब की दूसरी तरफ
से आकर रूक गया और
भौंकने लगा ।
फिर दोनों की नजर अपनी अपनी
परछाईं पर पडी ।
दोनो को लगा कि उनकी शक्लें
आपस में मिलती है ।
शायद दोनों के पुरखे एक ही
रहे हों ।
इस तरह उनके बीच दोस्ती हो
गयी ।
भेड़िये ने कुत्ते से कहा, " अजीब बात है! हम
दोनों एक ही खानदान के हैं ।
पर तुम इतने तगडे हो
और मैं इतना दुबला पतला  ?
भाई, मुझे बताओ की क्या
खाकर इतने ताकतवर और
हट्टे कट्टे बन गये हो  ?
मैं तो दिन रात खाना जुटाने
की कोशिश कर करके हार जाता हूँ ।
पर भरपेट खाना नहीं जुटा पाता ।
किसी किसी दिन तो भूखे पेट ही सोना पडता है । खाना न मिलने से ही मैं इतना कमजोर
हो गया हूँ । "
कुत्ते ने कहा, " जो मैं करता हूँ वह
तुम भी कर सको तो तुम्हें भी अच्छी
खुराक मिल सकती है । "
भेड़िये ने अचरज से पूछा, " सच कह रहे हो? 
तो ठीक है भाई!
पर बताओ तो तुम्हें करना क्या पडता है  ?
उस पालतू कुत्ते ने कहा,
" कुछ भी नहीं । सिर्फ़ रातभर
मालिक के घर की देख रेख करनी पडती
है । "
भेड़िया बोला,
" बस इतना ही । ये तो मैं भी कर सकता
हूँ । आहार जुटाने के लिए मैं जंगल में
भटकता हूँ सर्दी, गर्मी और बरसात
में कष्ट पाता हूँ । बस भाई, अब यह
कष्ट नहीं सहा जाता । अगर धूप, बारिश
में एक छत मिल जाए और भूख के समय
भरपेट खाना तो फिर जीवन में
क्या चाहिए  ? "
भेड़िये की दुखभरी बातें सुनकर
कुत्ते को दया आ गई ।
उसने कहा,
" तो मेरे साथ चलो । मैं अपने मालिक
से कहकर तुम्हारा भी इंतज़ाम करा दूंगा । "
यह सुनकर भेड़िया कुत्ते के पीछे पीछे हो लिया । घर पहुँच कर कुत्ते ने भेड़िये का
खूब स्वागत किया ।
उसे बढिया खाना खिलाया, इधर उधर
घुमाया और फिर अपनी कोठरी
में ले गया ।
कोठरी को देखकर भेड़िया बोला,
" क्या तुम इस छोटी सी कोठरी में
रहते हो?  यहाँ से तो आसमान
भी दिखाई नहीं देता ।
मैं एक दिन यहाँ रहूँ तो मर जाऊँ । "
कुत्ता बोला,
" शहरों में जगह कम होती है न,
सबको छोटी छोटी कोठरियों में ही
रहना पड़ता है ।
भेड़िया मान गया । थोड़ी देर बाद उसकी
नजर पास में पडी लोहे की एक साँकल
पर गई ।
उसने पूछा,
" यह क्या है  ? "
कुत्ता बोला, " यह साँकल है । मालिक कभी कभी इससे बाँधकर रखते हैं ।"
" पर इस साँकल से तो तुम
अपनी मर्ज़ी से कहीं आ जा भी नहीं सकते ।
तुम्हारा मालिक तुम्हें बाँधकर क्यों रखता है " भेड़िया बोला ।
कुत्ते ने कहा, "  ऐसी बात नहीं है । दिन में मैं
अवश्य बँधा रहता हूँ, पर रात को
जब मुझे खुला छोडा जाता है
तो मेरी मर्ज़ी मैं कहीं भी जाऊँ ।
और फिर मालिक के नौकर चाकर
भी मुझे बहुत प्यार करते हैं  ,मेरी देखभाल करते हैं अच्छा खाना देते हैं ।
स्वयं ही देख लो, मैं कितना सुखी तथा
आनंद में हूँ ।
भेड़िये ने कुत्ते की बात ध्यान से सुनी ।
फिर साँकल और कोठरी की ओर देखकर
बोला,
" भाई, यह बढिया खाना, तुम्हारे मालिक
और उनके नौकरों का प्यार तुम्हें मुबारक ।
गले में साँकल व यह छोटी सी कोठरी में
रहना मुझे बिलकुल नहीं भाया ।
मैं भूखा रह लूंगा, लेकिन यह बंधन कभी सहन
नहीं करूँगा ।!  "
यह कहकर भेड़िया अपने रास्ते चल पडा।
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स्वतंत्रता की सूखी रोटी, परतंत्रता
की चुपडी रोटी से मीठी लगती है ।
प्रस्तुत कहानी में स्वतंत्रता के इसी महत्व को
दर्शाया गया है ।
कहानी पसंद आये तो शेयर जरूर करें ।

1 comment:

apkhall said...

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