Friday, November 13, 2015

बडी नाम का चमत्कार : A Motivational Story In Hindi

बडी नाम का चमत्कार : A Motivational Story In Hindi


एक समय की बात है एक वन मे हाथीयों का
एक झुंड रहता था l
उस झुंड का सरदार चतुर्दंत नामक
एक विशाल, पराक्रमी ,गंभीर व समझदार
हाथी था l
सब उसी कि छत्र छाया मे सुख से रहते थे
वह सबकी समस्याएँ सुनता, उनका हल निकालता छोटे बडे सबका बराबर
खयाल रखता था l
एक बार उस क्षेत्र मे भयंकर सूखा पडा.
वर्षों तक पानी नही बरसा.
सारे तालाब ताल सुखने लगे
पेड पौधे कुम्हला गये, धरती फटने
लगी. चारो ओर हाहाकार मच गया  l
हर प्राणी बूँद बूँद के लिए तरसने
लगे.
हाथियों नें अपने सरदार से कहा
" सरदार कोई उपाय सोचिए. हम सब प्यासे मर रहे हैं "
चतुर्दत पहले ही सारी समस्याएँ
जानता था.
सबके दूख को समझता था.
पर उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि
क्या उपाय करें.
सोंचते सोंचते उसे बचपन की एक
बात याद आई और चतुर्दंत ने कहा,
"Hard work" The key of Success : The Poem
" मेरे दादाजी कहते थे. यहाँ से पूर्व मे
एक ताल है, जो भूमिगत जल से
जुडे होने के कारण कभी नहीं सूखता हमे
वहाँ चलना चाहिए. " 
सभी को आशा की किरण नजर आयी.
हाथियों का झुंड चतुर्दत द्वारा बताई गई
दिशा की ओर चल पडे.
बिना पानी के दिन की गर्मी मे सफर करना कठिन था |
पाँच रात्री बाद वे उस अनोखे
ताल तक पहुँचें. सचमुच ताल पानी से भरा था
सारे हाथियों ने खूब पानी पिया जी भरकर
चाल मे नहाये व डुबकियाँ लगाई |
उसी क्षेत्र में खरगोशों की घनी आबादी थी
उनकी शामत आ गई |
सैकडों खरगोश हाथियों के पैरों तले कुचले
गये |
उनके बिल रौंदे गये उनमें हाहाकार मच गया |
बचे खुचे खरगोशों ने एक आपातकालीन सभा की |
एक खरगोश बोला, " हमें यहाँ से भागना चाहिए. "
एक तेज स्वभाव वाला खरगोश
भागने के हक मे नहीं था |
उसने कहा,
" हमें अक्ल से काम लेना चाहिए.
हाथी अंधविश्वासी होते है हम उसे कहेंगे कि
हम चंद्रवंशी है. तुम्हारे द्वारा किए खरगोश संहार से हमारे देव चंद्रमा रूष्ट हैं |
यदि तुम यहाँ से नही गये तो चंद्रदेव तुम्हें विनाश का श्राप देंगे |
एक खरगोश ने उसका समर्थन किया
" चतुर ठीक कहता है उसकी बात हमे माननी चाहिए.
लंबकर्ण खरगोश को हम अपना दूत
बनाकर चतुर्दंत के पास भेजेंगे |"
इस प्रस्ताव पर सब सहनत हो गये
लंबकर्ण बहुत चतुर खरगोश था
सारे खरगोश समाज मे उसकी चतुराई की धाक थी
बातें बनाना उसे खूब आता था |
जब खरगोशों ने उसे दूत बनकर जाने के लिये
कहा तो वह तुरंत तैयार हो गया।
खरगोशों पर आए संकट को दूर
करके उसे प्रसन्ता ही होगा।
लंबकर्ण चतुर्दिक के पास गया और दूर से ही
एक चट्टान पर चढकर बोला,
" गजनायक चतुर्दंत, मैं लंबकर्ण चंद्रमा का दूत उनका संदेश लेकर आया हूँ।
चंद्रमा हमारे स्वामी हैं। "
चतुर्दंत ने पूछा, "भई. क्या संदेश लाए हो तुम? "
लंबकर्ण बोला, " तुमने खरगोश समाज को बहुत हानि पहुंचाई है चंद्रदेव तुमसे बहुत रूष्ट हैं।
इससे पहले कि वह तुम्हें श्राप दे दें,
तुम सब यहाँ से चले जाओ। "
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चतुर्दंत को विश्वास न हुआ।
उसने कहा, " चंद्रदेव कहाँ हैं?
मैं खुद उनके दर्शन करना चाहता हूँ। "
लंबकर्ण बोला, "उचित है
चंद्रदेव असंख्य खरगोशों को श्रध्दांजलि देने स्वयं ताल में पधारकर बैठे हैं। "
लंबकर्ण चतुर्दंत को रात में ताल पर
ले गया। उस रात पूर्णमासी थी
ताल मे पूर्ण चंद्रमा दिखाई दे रहा था।
चतुर्दिक घबरा गया चालाक खरगोश हाथी की घबराहट ताड गया और विश्वास से बोला,
"गजनायक जरा नजदीक से चंद्रदेव का साक्षातकार करें तो पता चलेगा कि आपके झुंड के इधर आने से हम खरगोशों पर क्या बीती है।
अपने भक्तों का दुख देखकर हमारे चंद्रदेव जी के दिल पर क्या गुजर रही हैं। "
 4 Motivational Story About Life In Hindi : Click Here
लंबकर्ण की बातों का गजराज पर जादू सा असर होने लगा
चतुर्दंत डरते डरते पानी के निकट गया
और सूंड़ से चंद्रमा के प्रतिबिम्ब पानी मे कई टुकडों मे बंट गया
यह देखकर चतुर्दंत के होश उड गए।
वह हडबडाकर पीछे हट गया।
लंबकर्ण इसी बात की ताक मे था
वह चीखा,
"देखा आपको देखते ही चंद्रदेव कितने रूष्ट हो गये। वह क्रोध से कांप रहे हैं और गुस्से से फट पडे हैं। आप अपनी खैर चाहते हैं।
तो यहाँ से झुंड सहित शीघ्र चलें
जायें।
"
चतुर्दंत ने अपने साथियों को तुरंत वहाँ से जाने के लिये कहा
वे वहाँ से चले गये
खरगोशों मे खुशी की लहर दौड़ पडी
हाथियों के जाने के कुछ दिन बाद ही
बादल छाई और बारिश हुई।
हाथियों की समस्या भी दूर हो गयी।
सीख: चतुराई से शारीरिक रूप से बलशाली शत्रु को भी मात दी जा सकती है
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