मान लीजिये की आपके सामने एक समस्या है :
कुछ बच्चे रेलवे ट्रैक के आस पास खेल रहे हैं. इनकी उम्र 8 -10 साल के लगभग है. उनमे से तीन बच्चे एक ऐसे ट्रैक पर खेल रहे हैं जो functional है , यानी उसपे ट्रेनें आती जाती हैं, जबकि एक अकेला बच्चा उसके बगल वाले ट्रैक पर खेल रहा है जो unused है यानि बहुत समय से प्रयोग में नहीं है.
एक पैसेंजर ट्रेन तीव्र गति से functional पटरी पर आ रही है, सौभाग्य से आप ट्रैक बदलने वाली जगह पर खड़े हैं.आप ट्रेन का मार्ग बदल कर उसे unused track पर भेज सकते हैं और तीनो बच्चों की जान बचा सकते हैं. लेकिन इसके लिए आपको अकेले खेल रहे बच्चे की कुर्बानी देनी होगी. या आप उस ट्रेन को अपने मार्ग पर जाने दे सकते हैं?
ऐसी दशा में आप क्या decision लेंगे ……………. (अपना उत्तर सोचने के बाद नीचे scroll कर के जाइये )
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शायद ज्यादातर लोग ये निर्णय लें कि ट्रेन का मार्ग बदल कर उसे unused track पर भेज दिया जाये , ताकि सिर्फ एक ही बच्चे कि मौत हो और बाकी बच जाएं. शायद आप भी यही decision लें. बिलकुल, एक बच्चे की अपेक्षा अधिक बच्चों की जान बचाना ज्यादातर लोगों की समझ से एक उचित निर्णय होगा, morally और emotionally भी. पर क्या आपने ये सोचा कि जो बच्चा unused track पर खेल रहा है उसने दरअसल एक सुरक्षित जगह खेलने का निर्णय लिया है?
पर फिर भी उसकी कुर्बानी दी जा रही है क्योंकि उसके कुछ बेवकूफ दोस्त ऐसी जगह खेल रहे हैं जहाँ खतरा है . इस तरह की असमंजस की इस्थिति हमारी ज़िन्दगी में आये दिन आती रहती है. Office में, समाज में, politics में , ख़ासतौर से जहाँ democracy हो , अक्सर मुट्ठी भर सही लोगों को बहुत सारे गलत लोगों के हित के लिए बलिदान कर दिया जाता है.इस case में जो बच्चा functional track पर ना खेल के एक unused tack पर खेल रहा था उसको sacrifice कर दिया जाता है, और कोई इतना दुखी भी नहीं होता है.
महान आलोचक Leo Velski Julian जिन्होंने ये कहानी बतायी उनका कहना है कि वो ट्रेन का ट्रैक नहीं बदलेंगे क्योंकि उनका मानना है कि जो बच्चे functional track पर खेल रहे थे उन्हें अच्छी तरह पता होगा कि इस ट्रैक पर ट्रेनें आती जाती हैं , और जब वो ट्रेन का साइरन सुनते तो पटरी पर से भाग जाते …अगर ट्रेन का मार्ग बदल दिया जाये तो उस अकेले बच्चे की मौत पक्की थी क्योंकि उसे इस बात का अंदाजा ही नहीं होता की ट्रेन उस ट्रैक पर भी आ सकती है. और चूँकि वो ट्रैक use में नहीं था तो सम्भावना है कि वो सुरक्षित नहीं रहा होगा. अगर ट्रेन उस ट्रैक की तरफ मोड़ दी जाती तो शायद उसमें बैठे सैकड़ों यात्रियों की जान भी खतरे में पड़ जाती.
हम अच्छी तरह से जानते हैं कि life में हमें कई बार tough decisions लेने पड़ते हैं , लेकिन शायद हम ये नहीं realize करते कि जल्दबाजी में लिए गए decisions हमेशा सही नहीं होते.याद रखिये जरूरी नहीं है कि जो सही हो वो लोकप्रिय हो और जो लोकप्रिय हो वो सही हो .
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हम यहाँ से क्या सीख सकते हैं:
- जहाँ तक संभव हो जल्दबाजी में निर्णय ना लें. जाहिर है यदि आप सचमुच ऊपर दी गयी या उस जैसी किसी स्थिति में होंगे तो आपको तुरंत ही अपना decision लेना होगा. पर कई बार ऐसा होता है की जहाँ हम अपने निर्णय के लिए समय निकाल सकते हैं वहां भी तुरंत ही आनन्-फानन में कोई निर्णय ले लेते हैं और कहते हैं , ” जो होगा देखा जायेगा”
- कसी भी decision को लेने से पहले उस से सम्बंधित अधिक से अधिक जानकारी जुटा लें. Generally एक informed decision यूँ ही लिए गए decision से बेहतर होगा.
- जिस field से related decision आपको लेना है उसी field के किसी जानकार व्यक्ति से सलाह लेना उचित होगा.
- याद रखिये कि एक ही समस्या के कई समाधान हो सकते हैं, अक्सर हमारे दिमाग में जो पहला हल आता है हम उसी को पकड के बैठ जाते हैं, जबकि और भी कई अच्छे उपाय हो सकते हैं.
- Lateral thinking approach अपना कर एक चीज को कई angle से देखा जा सकता है, और तब एक innovative solution मिलने के chances बढ़ जाते हैं.
- कभी भी इस overconfidence में मत रहिये कि आपका decision ही best है. और भी अच्छे विकल्प हो सकते हैं.
- एक दूसरा पहलू ये भी है कि हो सकता है आपके द्वारा लिया गया decision ज्यादातर लोगों द्वारा oppose किये जाने के बावजूद एक सही decision हो .
by achhikhabr.com
thanks
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