पर प्रयोग (experimenters) यहीं नहीं रुके। उन्होंने एक बन्दर के किये गए की सजा बाकी बंदरों को भी दे डाली और सभी को ठन्डे पानी से भिगो दिया। बेचारे बन्दर हक्के-बक्के एक कोने में दुबक कर बैठ गए।
पर वे कब तक बैठे रहते? कुछ समय बाद एक दूसरे बन्दर को केले खाने का मन किया। वह भी उछलता-कूदता सीढ़ी की तरफ दौड़ा। लेकि अभी उसने चढ़ना शुरू ही किया था कि पानी की तेज धार से उसे नीचे गिरा दिया गया। और पहले की तरह इस बार भी इस बन्दर के गुस्ताखी की सज़ा बाकी बंदरों को भी दी गयी। उन्हें एक बार फिर पानी की ठंडी धार का सामना करना पड़ा।
एक बार फिर बेचारे बन्दर सहमे हुए एक जगह बैठ गए। थोड़ी देर बाद जब तीसरा बन्दर केलों के लिए लपका तो एक अजीब वाक्य हुआ। बाकी के बन्दर उस पर टूट पड़े और उसे केले खाने से रोक दिया, ताकि एक बार फिर उन्हें ठन्डे पानी की सज़ा ना भुगतनी पड़े..
अब वैज्ञानिकों ने एक और interesting चीज़ की। उन्होंने अंदर बंद बंदरों में से एक को बाहर निकाल दिया और एक नया बन्दर अंदर डाल दिया। नया बन्दर वहां के नियम (rules) क्या जाने, केले देखते ही उसके मुंह में पानी भर आया और वह तुरंत केलों की तरफ दौड़ पड़ा। पर यह देखकर बाकी बंदर अपने आप को रोक न सके। उन्होंने मिलकर उस नये बंदर पिटाई कर दी। नये बंदर को यह समझ में नहीं आया कि आख़िर क्यों ये बन्दर ख़ुद भी केले नहीं खा रहे और उसे भी नहीं खाने दे रहे। लेकिन एक बार पिटने के बाद उस भी यह समझ में आ गया कि केले सिर्फ देखने के लिए हैं खाने के लिए नहीं।
इसके बाद वैज्ञानिकों ने एक और पुराने बन्दर को निकाला और नया बंदर अंदर कर दिया। इस बार फिर वही हुआ। नया बन्दर केलों की तरफ लपका पर बाकी के बंदरों ने उसकी धुनाई कर दी और मज़ेदार बात ये है कि पिछली बार आया नया बन्दर भी धुनाई करने वालों में शामिल था, जबकि उसके ऊपर एक बार भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था!
प्रयोग (experiment) के अंत में सभी पुराने बन्दर बाहर जा चुके थे और नए बन्दर अंदर थे जिनके ऊपर एक बार भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था। पर उनका व्यवहार (behaviour) भी पुराने बंदरों की तरह ही था। वे भी किसी नए बन्दर को केलों को नहीं छूने देते थे।
दोस्तो, आप सोच कर देखिए, क्या हमारे समाज (society) में भी यही बंदरों वाला व्यवहार (behaviour) देखने को नहीं मिलता है? जब भी कोई नया काम शुरू करने की कोशिश करता है, चाहे वो पढ़ाई, खेल, एंटरटेनमेंट, business, राजनीती, समाजसेवा या किसी और field से related हो, उसके आसपास के लोग उसे ऐसा करने से रोकते हैं, उसे असफलता (failure) का डर दिखाया जाता है। और मजेदार (interesting) बात ये है कि उसे रोकने वाले ज्यादातर (maximum) लोग वो होते हैं जिन्होंने ख़ुद उस क्षेत्र (field) में कभी हाथ भी नहीं आज़माया होता..
इसलिए यदि आप भी कुछ नया करने की सोच रहे हैं और आपको भी समाज या आसपास के लोगों के विरोध (opposition) का सामना (face) करना पड़ रहा है तो थोड़ा संभल कर रहिये। अपने तर्कों (logic) और क्षमताओं (guts) की ओर देखिए, ख़ुद पर और अपने लक्ष्य पर विश्वास क़ायम रखिये और बढ़ते रहिये। कुछ बंदरों की ज़िद के आगे आप भी बन्दर मत बन जाइए...
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