यही चाहता हूँ...
दान देकर बड़े मत बनो
दुसरो को निचा दिखाना बंद करो,
महंगी गाडियो मे जानवरो को घूमते हो
बस एक बार तो तुम इंसान बनो।भूख से मरते गरीब भला तुमसे क्या लेंगे,
जिन गरीब को आप दो निवाले नही दे सकते तो आने वाली पीढ़ियों को क्या देंगे ।।
कैलाश के शब्दों मे दर्द है बयाँ नही कर सकता,
मरती हुई इंसानियत को आखिर देख भी तो नही सकता।
मेरी कलम रुक गई ये देखकर,
के कोई गरीब मर गया कागज के टुकड़े पर रोटी का फोटो देखकर।।
आप बड़े बने रहे ये मे भी चाहता हुँ,
पर कोई गरीब भूखा हो और आपसे रोटी मांगे तो दे देना मे आपसे यही चाहता हुं - यही चाहता हूँ ।।
thanks...
No comments:
Post a Comment