ख्वाईशों से नहीं खिलते हैं फूल झोली में,
कर्म की शाख को हिलाना होगा.
कुछ नहीं होगा कोसने से अँधेरे को,
खुद दीपक बनकर जलना और फिर सबको जगाना होगा.
ज्यादा नहीं "बस एक नया कदम" अपने सपनों के लिए
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मित्रों अगर हम जिंदगी में सफलता पाना चाहते हैं तो, हर दिन सोने से पहले हम अपने आप से सिर्फ और सिर्फ यह प्रश्न पूछें कि :-
"आज दिन भर में हमने ऐसा कौन-सा काम किया है", जो हमारे सपनों को पूरा करने में "मात्र एक, जी हाँ मात्र एक नया कदम" साबित हुआ.
मित्रों हमें कहीं भी छलांग नहीं लगानी है, "बस एक नया कदम" अपने सपनों की ओर.
पूछिये अपने आप से, सोचिये हर दिन और फिर करिये हर दिन, पर क्या - "बस एक नया कदम".
मित्रों किसी भी दिन हमने अपने सपनों की तरफ "बस एक नया कदम" उठाया की नहीं, यह याद रखने के लिए आप सभी से निवेदन है कि कुछ दिनों तक रोज़ सोने से पहले अपने घर में कैलेंडर में उस तारीख पर गोला मारना शुरू करें. एक साल के बाद कैलेन्डर में तारीखों पर गोले देखने के पर हमें खुद ही पता चल जायेगा कि हम अपने सपनों के प्रति कितने गंभीर (Serious) हैं.
मित्रों उस वक़्त हमें अपने सपने पूरे न होने पर अपने अलावा कोई भी जिम्मेदार नज़र नहीं आना चाहिए और न ही आएगा. (Don't blame anyone for our failures).
मित्रों हर दिन "बस एक नया कदम" मतलब एक साल के अंदर अंदर हम 365 नए कदम बढ़ चुकें होंगे अपने सपनों की तरफ और इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं, कि इन 365 दिनों में तो हमारे कई साथियों के तो सपने भी पूरे हो जाएँ.
मित्रों ध्यान रहे - हर दिन का काम चाहे कितना ही छोटा क्यों न हो - ‘‘हमें हमेशा उत्कृष्टता (BETTER) और उसी प्रकार परिपूर्णता (COMPLETENESS) के लिए प्रयास करना चाहिए, सर्वोत्कृष्टता (BEST) के अलावा और कोई भी विकल्प स्वीकार्य नहीं होना चाहिए’’. यानि अपने लक्ष्यों, सपनों के लिए हर दिन चाहे हम "एक ही नया कदम" बढ़ाएं पर वह कदम सर्वोत्कृष्टता (BEST) होना चाहिए.
मित्रों, वही पुराना कदम नहीं, पहले ये बताइये कि आज कौन सा "एक नया कदम" उठाया हैं हमने, आज क्या "नया काम" किया है हमने ......
हमारे मित्र "भगत" ने क्या खूब लिखा है :-
ख्वाईशों से नहीं खिलते हैं फूल झोली में,
कर्म की शाख को हिलाना होगा.
कुछ नहीं होगा कोसने से अँधेरे को,
खुद दीपक बनकर जलना और फिर सबको जगाना होगा.
Plz visit again
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