Wednesday, October 26, 2016

Motivate

🍋 *ये छोटी सी प्रेरणा देने वाली कहानी बहुत कुछ आपकी सच्चाई बता देगी*
ध्यान से पढ़ना----:
➡ *एक छोटे बालक को आम का पेड़ बहोत पसंद था।* जब भी फुर्सत मिलती वो तुरंत आम के पेड के पास पहुंच जाता। पेड़ के उपर चढना, आम खाना और खेलते हुए थक जाने पर आम की छाया मे ही सो जाना। बालक और उस पेड़ के बीच एक अनोखा संबंध बंध गया था।
*
बच्चा जैसे जैसे बड़ा होता गया वैसे वैसे उसने पेड़ के पास आना कम कर दिया।
कुछ समय बाद तो बिल्कुल ही बंद हो गया।
आम का पेड़ उस बालक को याद करके अकेला रोता रहता।
एक दिन अचानक पेड़ ने उस बच्चे को अपनी और आते देखा। आम का पेड़ खुश हो गया।
*
बालक जैसे ही पास आया तुरंत पेड ने कहा, "तू कहां चला गया था? मै रोज़ तुम्हे याद किया करता था। चलो आज दोनो खेलते है।"
बच्चा अब बड़ा हो चुका था, उसने आम के पेड से कहा, अब मेरी खेलने की उम्र नही है। मुझे पढना है,
पर मेरे पास फी भरने के लिए पैसे नही है।"
पेड़ ने कहा, "तू मेरे आम लेकर बाजार मे जा और बेच दे,
इससे जो पैसे मिले अपनी फीस भर देना।"
*
उस बच्चे ने आम के पेड़ से सारे आम उतार लिए, पेड़ ने भी ख़ुशी ख़ुशी दे दिए,और वो बालक उन सब आमो को लेकर वहा से चला गया।
*
उसके बाद फिर कभी वो दिखाई नही दिया।
आम का पेड़ उसकी राह देखता रहता।
एक दिन अचानक फिर वो आया और कहा,
अब मुझे नौकरी मिल गई है, मेरी शादी हो चुकी है, मेरा संसार तो चल रहा है पर मुझे मेरा अपना घर बनाना है इसके लिए मेरे पास अब पैसे नही है।"
*
आम के पेड़ ने कहा, " तू चिंता मत कर अभी में हूँ न,
तुम मेरी सभी डाली को काट कर ले जा,
उसमे से अपना घर बना ले।"
उस जवान ने पेड़ की सभी डाली काट ली और ले के चला गया।
*
आम का पेड़ के पास कुछ नहीं था वो अब बिल्कुल बंजर हो गया था।
कोई उसके सामने भी नही देखता था।
पेड़ ने भी अब वो बालक/ जवान उसके पास फिर आयेगा यह आशा छोड दी थी।
*
फिर एक दिन एक वृद्ध वहां आया। उसने आम के पेड़ से कहा,
तुमने मुझे नही पहचाना, पर मै वही बालक हूं जो बारबार आपके पास आता और आप उसे हमेशा अपने टुकड़े काटकर भी मेरी मदद करते थे।"
आम के पेड ने दु:ख के साथ कहा,
"पर बेटा मेरे पास अब ऐसा कुछ भी नही जो मै तुझे दे सकूँ।"
वृद्ध ने आंखो मे आँसू के साथ कहा,
"आज मै कुछ लेने नही आया हूं, आज तो मुझे तुम्हारे साथ जी भरके खेलना है, तुम्हारी गोद मे सर रखकर सो जाना है।"
*
इतना कहते वो रोते रोते आम के पेड़ से लिपट गया और आम के पेड़ की सूखी हुई डाली फिर से अंकुरित हो उठी।
*
वो वृक्ष हमारे माता-पिता समान है, जब छोटे थे उनके साथ खेलना अच्छा लगता था।
जैसे जैसे बडे होते गये उनसे दूर होते गये।
पास तब आये जब जब कोई जरूरत पडी, कोई समस्या खडी हुई।
*आज भी वे माँ बाप उस बंजर पेड़ की तरह अपने बच्चों की राह देख रहे है।*
आओ हम जाके उनको लिपटे उनके गले लग जाये जिससे उनकी वृद्धावस्था फिर से अंकुरित हो जाये।
यह कहानी पढ़कर थोडा सा भी किसी को एहसास हुआ हो और अगर अपने माता-पिता से थोड़ा भी प्यार करते हो तो...
*माँ बाप को अपना साथ दें।*
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

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