Friday, November 20, 2015

Samrat Ashoka History







पूरा नाम     – अशोक बिंदुसार मौर्य.
जन्म          – ईसा पूर्व 294.
जन्मस्थान  – पाटलीपुत्र.
पिता           – राजा बिंदुसार.
माता           – धर्मा / शुभद्रांगी.
विवाह         – देवी, कारुवाकी, असंधीमित्रा, पदमावती, तिष्क रक्षिता.
Samrat Ashoka History 
अशोक मौर्य जो साधारणतः अशोका और अशोका- एक महान ( Ashoka The Great ) के नाम से जाने जाते है. वे मौर्य राजवंश के एक भारतीय सम्राट थे जिन्होंने जिनका शासन भारतीय उपमहाद्वीप पर राजकाल इसवी सन 273-232 तक राज किया. वे भारत के महान शक्तिशाली समृद्ध सम्राटो में से एक थे. उस समय मौर्य राज्य उत्तर में हिन्दुकुश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी के दक्षिण तथा मैसूर तक तथा पूर्व में बंगाल से पश्चिम में अफगानिस्तान तक पहोच गया था. उनके साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र(मगध, आज का बिहार) और साथ ही उपराजधानी तक्सिला और उज्जैन भी थी.
पाटलिपुत्र के राजा बिंदुसार की मृत्यु के बाद राजगद्दी अशोक के बड़े भाई शुशिम को मिलने वाली थी, लेकिन मंत्रियों ने अशोक को ज्यादा सक्षम पाया, इसलिए उन्होंने अशोक को सत्तासीन होने में मदद की.
उस समय पाटलिपुत्र में अराजकता और मारकाट का वातावरण व्याप्त था. अशोक ने अपने को कुशल प्रशासक सिध्द करते हुए तीन साल के भीतर ही राज्य में शांति स्थापित की और उसके बाद ही ईसा पूर्व 273 में औपचारिक रूप से राजगद्दी संभाली. उसके शासनकाल में देश ने विज्ञान तकनीक के साथसाथ चिकित्सा शास्त्र में काफी तरक्की की. उसने धर्म पर इतना जोर दिया कि प्रजा इमानदारी और सच्चाई के रास्ते पर चलने लगी. चोरी और लूटपाट की घटानाएं बिलकुल ही बंद हो गईं.
अशोक घोर मानवतावादी था. वह रातदिन जनता की भलाई के काम ही किया करता था. उसे विशाल साम्राज्य के किसी भी हिस्से में होने वाली घटना की जानकारी रहती थी. धर्म के प्रति कितनी आस्था थी, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि वह बिना एक हजार ब्राम्हणों को भोजन कराए स्वयं कुछ नहीं खता था. कलिंग युध्द अशोक के जीवन का पहला और आखरी युध्द था, जिसके उसने जीवन को ही बदल डाला.
अशोक इस छोटेसे किंतु बहुत ही समृध्द राज्य को अपने साम्राज्य में मिलाना चाहता था, लेकिन स्वाभिमानी और बहादुर कलिंगवासी अपनी स्वतंत्रता बनाए रखना चाहते थे. इसवी सन 260 के आस-पास अंततः अशोक ने कलिंग पर चढ़ाई की और घमासान युध्द शुरु हुआ. अशोका ने कलिंगा के साथ एक भयंकर युद्ध किया. जिसमे उसने कलिंगा को परास्त किया जो इस से पहले किसी सम्राट ने नहीं किया था और ना ही कर पाया था. उस समय मौर्य साम्राज्य तब तक का सबसे बड़ा भारतीय साम्राज्य माना जाता था. सम्राट अशोक को अपने विस्तृत साम्राज्य से कुशल और बेहतर प्रशासक तथा बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए जाना जाता था. अशोका से हुए कलिंगा-अशोका युद्ध में 100000 से भी ज्यादा मृत्यु हुई और 150000 से भी ज्यादा घायल हुए. इस युध्द में हुए भारी रक्तपात ने उसे हिलाकर रख दिया. उसने सोचा कि यह सब लालच का दुष्परिणाम है और जीवन में फिर कभी युध्द करने का प्रण लिया. उसने बौध्द धर्म अपना लिया और अहिंसा का पुजारी हो गया. उसने देशभर में बौध्द धर्म के प्रचार के लिए स्तंभों और स्तूपों का निर्माण कराया. विदेशों में बौध्द धर्म के विस्तार के लिए उसने भिक्षुओं की तोलियां भेजींबुद्ध का प्रचार करने हेतु उन्होंने अपने रज्य में जगह-जगह पर भगवान गौतम बुद्ध की प्रतिमाये स्थापित की. और बुद्ध धर्म का विकास करते चले गये.
बौध्द धर्म को अशोक ने ही विश्व धर्म के रूप में मान्यता दिलाई. विदेशों में बौध्द धर्म के प्रचार के लिए अशोक ने अपने पुत्र और पुत्री तक को भिक्षु-भिक्षुणी के रूप में भारत से बाहर भेजा. सार्वजानिक कल्याण के लिये उसने जो कार्य किये वे तो इतिहास में अमर ही हो गये हैं. नैतिकता, उदारता एवं भाईचारे का संदेश देने वाले अशोक ने कई अनुपम भवनों तथा देश के कोने-कोने में स्तंभों एवं शिलालेखों का निर्माण भी कराया जिन पर बौध्द धर्म के संदेश अंकित थे. भारत का राष्ट्रीय चिह्नअशोक चक्रतथा शेरों कीत्रिमूर्तिभी अशोक महान की ही दें है. ये कृतियां अशोक निर्मित स्तंभों और स्तूपों पर अंकित हैं. ‘त्रिमूर्तिसारनाथ (वाराणसी) के बौध्द स्तूप के स्तंभों पर निर्मित शिलामुर्तियों की प्रतिकृति है.
किताब आउटलाइन ऑफ़ हिस्ट्री में अशोका में बारे में यह लिखा है की, “इतिहास में अशोका को हजारो नामो से इस महान सम्राट को जानता है, जहा जगह-जगह पर उनकी वीरता के किस्से है, उनकी गाथा पुरे इतिहास में प्रचलित है, वे एक सर्व प्रिय, न्यायप्रिय, दयालु और शक्तिशाली सम्राट थे. वे एक आकाश में चमकने वाले तारे की तरह है जो अकेला ही क्यू ना हो लेकिन चमकता जरुर है, और सतत चमकते ही जाता है, भारतीय इतिहास का यही चमकता तारा सम्राट अशोका है. अशोका का साम्राज्य 2 री सदी तक चलता रहा, कभी अशोकवदना के नाम से तो कभी श्रीलंका के शब्द महावास्मा (महान सम्राट) के नाम से. वे सदैव लोगो के दिलो दिमाग में अपनी जगह बनाते रहे. और आज के आधुनिक भारत ने भी उनके 4 शेरो के चिन्ह को क़ानूनी तौर से अपनाया है. जिसे हम अशोक चिन्ह के नाम से भी जानते है.
अशोक भारतीय इतिहास का एक ऐसा चरित्र है, जिसकी तुलना विश्व में किसी से नहीं की जा सकती. एक विजेता, दार्शनिक एवं प्रजापालक शासक के रूप में उसका नाम अमर रहेगा. उसने जो त्याग एवं कार्य किये वैसा अन्य कोई नहीं कर सका.
सम्राट अशोका एक आदर्श सम्राट थे. इतिहास में अगर हम देखे तो उनके जैसा निडर सम्राट ना कभी हुआ ना ही कभी होंगा. उनके रहते मौर्य साम्राज्य पर कभी कोई विपत्ति नहीं आई.
Samrat Ashoka Death – मृत्यु  –   सम्राट अशोक ने लगभग 40 वर्षों तक शासन किया. . सा पूर्व 232 के आसपास उनकी मृत्यु हुयीइस महान सम्राट के मृत्यु के बाद मौर्य राजवंश 60 वर्षों के आसपास तक चला.
विश्व इतिहास में अशोक महान एक अतुलनीय चरित्र है. उस जैसा ऐतिहासिक पात्र अन्यत्र दुर्लभ है. भारतीय इतिहास के प्रकाशवान तारे के रूप में वह सदैव जगमगाता रहेगा.

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