Sunday, November 1, 2015

जीवन का पाठ most motivate story

जीवन का पाठ

बीत रहे साल को अलविदा, नये साल को सलाम। सभी 2016 के स्वागत की तैयारी कर रहे हैं। ऐसा हर साल होता है। साल के पहले दिन फिलॉसफी के एक प्रोफेसर अपनी क्लास में गये। उनके हाथ में बड़ा-सा बैग था। ‘विश यू हैप्पी न्यू ईयर सर’ के साथ छात्रों ने सर को विश किया और सर ने भी पूरी गर्मजोशी से ‘हैप्पी न्यू ईयर’ कह, एक नजर क्लास पर डाली और वह बड़ा- सा बैग मेज पर रखा। छात्र उत्सुकता से देख रहे थे। उन्होंने कांच का एक मर्तबान और छोटी-बड़ी थैलियों को बैग से निकाल कर मेज पर रखा और बोले- आज मैं तु म्हें जीवन का एक पाठ पढ़ाने वाला हूं। वे अपने साथ लायी टेबल टेनिस की गेंदों को जार में डालने लगे और तब तक डालते रहे जब तक उसमें एक भी गेंद समाने की जगह नहीं बची। उन्होंने छात्रों से पूछा, ‘क्या जार पूरा भर गया?’ ..आवाज आई, ‘हां सर’। फिर प्रोफेसर साहब ने उसमें छोटे-छोटे कंकड़ डालने शुरू किये और धीरे -धीरे हिलाया तो काफी सारे कंकड़ उसमें समा गये। प्रोफेसर साहब ने पूछा, ‘क्या अब जार भर गया?’ छात्र एक स्वर में बोले, ‘यस सर’। अब सर ने रेत की थैली उठाई और धीरे-धीरे रे त को जार में डालना शुरू किया। जहां तक संभव था, रेत उसमें समा गई। सर ने पूछा, ‘अब तो जार पूरा भर गया ?’ सबने एक स्वर में कहा, ‘हां सर,।’ सर ने केतली निकाली। उसमें से दो कपों में चाय डाली। चाय को जार में डालना शुरू किया जो उसमें समा गई। अब गंभीर आवाज में समझाना शुरू किया- ‘इस जार को तुम अपना जीवन समझो..। टेबल टेनिस की गेंदें सबसे महत्वपूर्ण भाग हैं यानी भगवान, परिवार, बच्चे, दोस्त और सेहत आदि। छोटे कंकड़ यानी तुम्हारी नौकरी, कार, बड़ा मकान आदि । औ र रेत का मतलब है- छोटी-छोटी बातें, मनमुटाव, झगड़े वगैरह। अब अगर तुमने जार में सबसे पहले रेत भरी होती तो टेबल टेनिस की गेंदों और कंकड़ों के लिए जगह ही नहीं बचती या कंकड़ भर दिए होते तो गेंदें नहीं भर पाते। रेत जरूर आ सकती थी। ठीक यही बात जीवन पर भी लागू होती है। अगर तुम छोटी-छोटी बातों के पीछे पड़े रहोगे तो और अपनी ऊर्जा उसमें नष्ट करते रहोगे तो तुम्हारे पास बड़ी बातें सोचने की न गुंजाइश बचेगी, न ताकत। मन के सुख के लिए क्या जरूरी है, यह तुम्हें तय करना है। टेबल टेनिस की गेंदों की फिक्र पहले करो। वे ही महत्वपूर्ण हैं। पहले तय करो कि क्या जरूरी है। बाकी सब तो रेत है ..। छात्र बड़े ध्यान से सुन रहे थे। उनमें से एक छात्र ने पूछा, ‘दो कप चाय का मतलब क्या है? यह आपने नहीं बताया।’ प्रोफेसर मुस्कुराए, ‘मैं यही सोच रहा था कि अभी तक ये सवाल किसी ने क्यों नहीं पूछा!
जीवन का पाठ दो कप चाय का मतलब 1. जीवन में कितना भी कुछ मिल जाए लेकिन फिर भी गुंजाइश हमेशा बनी रहती है। 2. आप कितने भी बड़े हो जाएं लेकिन अपने खास लोगों के साथ बैठकर दो कप चाय पीने की जगह हमेशा होनी चाहिए। 3. आप कितने भी विद्वान क्यों न हों, रेत के जार में दो कप चाय की तरह दूसरों की बात ग्रहण करने की गुंजाइश बनाए रखें। 4. कभी भी कोई संपूर्ण नहीं होता, संभावनाएं हमेशा बनी रहती हैं। उन संभावनाओं को खत्म न होने दें। 5. जीवन में किसी भी मोड़ पर पूर्ण विराम नहीं होता। हासिल करने और बांटने के लिए स्काई इज द लिमिट। यानी दो कप चाय की गुंजाइश कभी खत्म न होने दें।

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