गोल सेटिंग ये शब्द तो हमने बहोत बार सुना ही होंगा.
Business की दुनिया में ये शब्द बहोत से लोगों के Common शब्द हो गया है. ‘how to achieve your goal.’ नाम के Article भी बहोत है. बहोत से लोग इसपर व्याख्यान भी देते है. गोल सेटिंग इस विषय पर हमेशा कार्यशाला भी होती है. और बहोत से लोग पैसे देकर उस कार्यशाला में जाते है.
सचमुच, इतना मुश्किल है ? इस सवाल का जवाब ?
‘मेरा लक्ष्य क्या है ?’
सवाल आसान है, जवाब मुश्किल है. क्योकि बहोत कम लोगों को इस सवाल का जवाब मिलता है.
पर ऐसे ढूडने से तो हमें जवाब नहीं मिलेंगा. हमें कहा जाना है ये पता ही नहीं होंगा तो हम कौनसे बस में चढ़ेंगे ? कहा पोहचेंगे ?
अपना सफर तय करना मतलब लक्ष्य तय करना, गोल सेटिंग करना है.
आज हम बहोत आसान शब्दों में देखते है की गोल सेटिंग क्या है. क्योंकि इस सफर में हमें अपना गोल पता होना चाहिये. वो समझ में आयेंगा तभी हम उसके लिये आवश्यक स्किल्स सिख सकेंगे.
1) मुझे Exactally क्या करना है ? सबसे पहले खुद को यही पूछो की मुझे मेरे क्षेत्र में Exactly क्या काम करना है ? मुझे क्या पसंत है ? मुझे टेक्निकल काम पसंत हैं या व्यापार ? कौनसे क्षेत्र में मुझे आगे जाना है. ऐसा क्या है जो मुझे दिल से पसंत है. उसमे पैसा ज्यादा मिले या कम मिले, मुझे वही काम करना अच्छा लगेंगा, ऐसा कोनसा काम है ?
2) जो काम पसंद है,उसके साथ आपकी तत्वों Match होते है क्या ?सिर्फ पसंत है इस लिये नहीं,उस काम के लिये जरुरी ईमानदारी,दृढता,मेहनत लेने के लिये तैयार हो क्या आप ?या पसंत है इसलिये अभी करना और फिर छोड़ देना ऐसा होता है आपका ?
3) घरवाले क्या कहते है, उनका साथ है ? अगर नहीं होंगा तो आप उन्हें मना सकते हो ? क्योकि घरवालो का ना हो तो बहोत से लोगोंको काम पर फोकस करना मुश्किल हो जाता है.
4) एकदम से पुरे जिंदगी का लक्ष्य तय मत करो. जिंदगी में के छोटे छोटे कदम आपका करिअर बनाते है. इसलिये छोटा काम करने का तय करो. छोटा गोल सेट करो. वो पूरा होने पर आपका आत्मविश्वास बढेंगा. छोटा लक्ष्य, छोटे समय के लिये ये Rule ध्यान में रखो.
5) हमेशा काम, चोबीस घंटे काम ऐसा मत करो. दोस्त, घरवाले, आपकी पसंदीदा चीजो के लिये समय निकालो. बहोत से लोग एकसाथ घंटो काम करने की कोशिश करते है. और जल्दी थक जाते हे, ये तो ऐसी बात हुई मतलब जोर से भागकर जल्दी ही थक जाना तो फिर सफर पूरा कैसे होंगा.
6) मुकाबला किया तो खुद के साथ करो बाकी लोंगो के साथ नही. उस वजह से दुसरे का लक्ष्य आपका लक्ष्य बनना नहीं चाहिये. आप खुद का सफर खुद के लिये करो. तभी जित आप की होंगी.
Thanks...
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