Sunday, November 8, 2015

इंसान कितना भी बुरा क्यों न हो

इंसान कितना भी बुरा क्यों हो लेकिन उसके अंदर कुछ कुछ अच्छी बात जरुर होती है। कुछ ऐसा ही रावण के साथ भी हुआ जो अहंकारी और दुष्ट होने के साथ-साथ महान पंडित भी था। आगे की तस्वीरों पर क्लिक करें और जानें रावण की ऐसी खूबियां और वह वजह जिसके बाद रावण कहलाया त्रिलोकाधिपति-
1.रावण बहुत विद्वान, चारों वेदों का ज्ञाता और ज्योतिष विद्या में पारंगत था। रावण की इसी विशेषता से प्रभावित होकर भगवान शंकर ने अपने घर की वास्तु शांति के लिए आचार्य पंडित के रूप में दशानन को निमंत्रण दिया था।

2.रावण भगवान शंकर का सबसे बड़ा उपासक था। कथाओं के अनुसार सेतु निर्माण के समय रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना की गई जिसके पूजन के लिए विद्वान की खोज शुरू हुई। उस वक्त सबसे योग्य विद्वान रावण ही था। रावण ने अपने शत्रुओं के आमंत्रण को स्वीकार कर शिवलिंग पूजन किया।

3.रावण के कई गुणों में से एक गुण तपस्वी का भी था। अपने तप के बल पर ही उसने सभी देवों और ग्रहों को अपने पक्ष में कर लिया था। रावण की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने उसे अमरता और विद्वता का वरदान दिया था।

4.रावण एक महान कवि के साथ-साथ वीणा वादन में भी सिद्धहस्त था। उसने एक वाद्य भी बनाया था, जिसेरावण हत्थाकहते हैं।

 5.रामायण की कथाओं के अनुसार रावण एक ब्रह्मराक्षस था। रावण के पिता ब्राह्मण ऋषि विशर्वा, भगवान ब्रह्मा के वंशज थे। जबकि रावण की माता कैकसी दैत्य कन्या थी। इतना ही नहीं देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर भी रावण के भाई थे।

6.रावण एक महान योद्धा था। यह उसकी सबसे बड़ी खूबी जिसका उसे घमंड भी था और अपनी इसी खूबी के कारण रावण त्रिलोकाधिपति कहलाया जिसने इंसान, राक्षस, देवता, यहां तक की सांपों की कई प्रजातियों को भी अपने युद्ध कौशल से हराया।

 7.रावण राजनीति शास्त्र का महान ज्ञाता था। रावण की बुद्धि और बल की प्रशंसा स्वंय भगवान राम ने भी की। यही वजह थी कि जब रावण मृत्यु शैय्या पर था तब राम ने लक्ष्मण को रावण से सीख लेने के लिए कहा।

8.भारत में दशहरे के त्योहार के संदर्भ में विभिन् प्रकार की मान्यताओं के साथ ही अलग-अलग राज्यों में इसे मनाने का तरीके भी अलग-अलग है। आगे की तस्वीरों पर क्लिक करें और जानें, किस प्रदेश में कैसे मनाया जाता है दशहरे का पर्व-

कुल्लू- हिमाचल प्रदेश के कुल्लू का दशहरा पूरे भारतवर्ष में बहुत प्रसिद्ध है। हालांकि हिमाचल के लोगों के लिए इस दशहरे का सम्बं किसी भी तरह से भगवान राम से नहीं है। बल्कि इस दिन हिमाचल के लोग सज-धज कर ढोल नगाड़ों के साथ अपने ग्रामीन देवता की पूजा करते हैं। पूरे जोश के साथ भगवान की पालकी निकालते हैं और अपने मुख् देवता भगवान रघुनाथ जी की पूजा करते हैं।
बस्तर- छत्तीसगढ़ के बस्तर में दशहरे को मनाने का मुख्य कारण राम की रावण पर विजय नहीं माना जाता बल्कि यहां के लोग विजयदशमी को मां दंतेश्वरी की आराधना को समर्पित एक पर्व के रूप में मनाते हैं। दंतेश्वरी माता, बस्तर के लोगों की आराध्य देवी हैं जो मां दुर्गा का ही रूप हैं और यहां यह पर्व पूरे 75 दिन तक चलता है। इस त्योहार की शुरुआत श्रावण मास के अमावस्या से होती है और इसका समापन आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को ओहाड़ी पर्व से होता है।

बंगाल में नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना के बाद दशमी के दिन विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इसके अन्तर्गत स्त्रियां, देवी के माथे पर सिंदूर चढ़ाती हैं और देवी को अश्रुपूरित विदाई देती हैं। इसके साथ ही वे आपस में भी सिंदूर खेलती हैं और अंत में सभी देवी प्रतिमाओं को विसर्जन के लिए ले जाया जाता है। विसर्जन की ये यात्रा महाराष्ट्र के गणपति-उत्सव के गणेश-विसर्जन के समान ही भव्, शोभनीय और दर्शनीय होती है जबकि इस दिन नीलकंठ पक्षी को देखना भी बहुत शुभ माना जाता है।


मैसूर- कर्नाटक के मैसूर शहर में दशहरे के समय पूरे शहर को रौशनी से सजाया जाता है और फिर हाथियों का शृंगार कर पूरे शहर में एक भव्य जुलूस निकाला जाता है। इस समय प्रसिद्ध मैसूर महल को दीप-मालिकाओं से दुल्हन की तरह सजाते हैं। साथ ही शहर में लोग टॉर्च लाइट के संग नृत्य और संगीत की शोभायात्रा भी निकालते हैं।
महाराष्ट्र में नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा को समर्पित रहते हैं, जबकि दसवें दिन ज्ञान की देवी सरस्वती की वंदना की जाती है। इस दिन स्कूल जाने वाले बच्चे अपनी पढ़ाई में देवी का आशीर्वाद पाने के लिए मां सरस्वती के तांत्रिक चिह्नों की पूजा करते हैं। किसी भी चीज को प्रारंभ करने के लिए खासकर विद्या आरंभ करने के लिए यह दिन काफी शुभ माना जाता है। महाराष्ट्र के लोग इस दिन विवाह, गृह-प्रवेश एवं नए घर खरीदने का शुभ मुहूर्त समझते हैं।


 उत्तर भारत- दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, इन सभी राज्यों में दशहरे का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। इन सभी प्रदेशों में इस दिन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं। यहां दशहरे को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही कई जगहों पर मेले का आयोजन भी होता है।

NRrhlXk<+  jk;iqj es Hkh  vkSj esjs hometown egkleqUn es Hkh  vkSj
दशहरे का त्योहार  euk;k x;k A

Thanks……

Aap sabhi apna sughav(feedback)  jarur de aap ka feedback humara utsaha badata hai….


No comments:

thanks

comment here frd