माँ
शब्द सुनते ही यह गाना याद आता है:
तू कितनी अच्छी है
तू कितनी भोली है
प्यारी-प्यारी है
ओ माँ, ओ माँ
ये जो दुनिया है
ये बन है काँटों का
तू फुलवारी है
ओ माँ, ओ माँ
तू कितनी अच्छी है…
तू कितनी भोली है
प्यारी-प्यारी है
ओ माँ, ओ माँ
ये जो दुनिया है
ये बन है काँटों का
तू फुलवारी है
ओ माँ, ओ माँ
तू कितनी अच्छी है…
हमारे जीवन में सबसे प्रिय इंसान हमारी माँ होती है| “माँ” शब्द में इतनी शक्ति है कि यह शब्द सुनते ही हमारे रोंगटे खड़े हो जाते है| हम चाहे कितने भी निराश क्यों न हो, माँ को याद करते ही हमरी निराशा पल भर में दूर हो जाती है| यह कहानी माँ के व्यक्तित्व का एक अद्भुत उदाहरण है:
पेंसिल और रबर (कहानी) Hindi Kahani
एक दिन एक पेंसिल ने रबर (इरेज़र) से कहा – “मुझे माफ़ कर दो”
रबर (Eraser) – “क्यों? क्या हुआ? तुम माफ़ी क्यों मांग रही हो!”
पेंसिल (Pencil) – “मुझे यह देखकर दुःख होता है कि तुम्हें मेरे कारण तकलीफ पहुँचती है| जब कभी मैं कोई गलती करती हूँ, तब तुम हमेशा उसे सुधार देते हो| मेरी गलतियों को मिटाते-मिटाते तुम खुद को तकलीफ पहुंचाते हो और तुम धीरे छोटे होते जाते हो और अपना अस्तित्व ही खो देते हो|”
इरेज़र (Eraser) – “तुम सही कहती हो लेकिन मुझे इस बात का कोई दुःख नहीं क्योंकि मेरे जीवन का उद्देश्य यही है| मेरे जीवन का यही उद्देश्य है कि जब कभी भी तुम गलती कर दो तो मैं तुम्हारी मदद करूं| मुझे पता है कि मैं एक दिन चला जाऊँगा और लेकिन मैं तुम्हे उदास नहीं देख सकता| मैं चाहता हूँ कि मेरे जाने से पहले मैं तुम्हे गलतियाँ न करना एंव गलतियाँ सुधारना सिखा दूं ताकि जब मैं न रहूँ तो तुम जीवन की इस यात्रा में कभी भी खुद को कमजोर महसूस न करो|”
पेंसिल और रबर के बीच की यह बातें बहुत ही प्रेरणादायक है| हमारी माँ भी इरेज़र की तरह हमारी गलतियों को सुधारने के लिए हमेशा तैयार रहती है| कभी-कभी हमारी वजह से उन्हें दुःख भी पहुँचता है लेकिन वो हमारी ख़ुशी के लिए अपना पूरा जीवन दांव पर लगा देती है|
जो लोग पढाई या नौकरी के लिए किसी और शहर में रहते है वे माँ से दूर रहने का दर्द जानते है| वे लोग माँ को हर पल याद करते है और शायद कभी कभी उनके मन में यह गाना गूंजता रहता है या फिर यह गाना सुनकर उनकी आँखों से स्वत: ही आंसू निकल आते है –
मैं कभी बतलाता नहीं, पर अंधेरे से डरता हूँ मैं माँ
यूँ तो मैं दिखलाता नहीं, तेरी परवाह करता हूँ मैं माँ
तुझे सब है पता, है ना माँ, तुझे सब है पता, मेरी माँ
भीड़ में यूँ ना छोड़ो मुझे
घर लौट के भी आ ना पाऊँ माँ
भेज ना इतना दूर मुझको तू
याद भी तुझको आ ना पाऊँ माँ
क्या इतना बुरा हूँ मैं माँ, मेरी माँ
जब भी कभी पापा मुझे ज़ोर ज़ोर से झूला झुलाते है माँ
मेरी नज़र ढूँढे तुझे, सोचू यही तू आ के थामेगी माँ
उन से मैं यह कहता नहीं, पर मैं सहम जाता हूँ माँ
चेहरे में आने देता नहीं, दिल ही दिल में घबराता हूँ माँ
तुझे सब है पता है ना माँ, मेरी माँ
जब भी कभी पापा मुझे ज़ोर ज़ोर से झूला झुलाते है माँ
मेरी नज़र ढूँढे तुझे, सोचू यही तू आ के थामेगी माँ
उन से मैं यह कहता नहीं, पर मैं सहम जाता हूँ माँ
चेहरे में आने देता नहीं, दिल ही दिल में घबराता हूँ माँ
तुझे सब है पता है ना माँ, मेरी माँ
आज तक उन्होंने हमारी ख़ुशी के लिए हरसंभव कोशिश की| लेकिन अब हमारी बारी है कि हम उनकी ख़ुशी के लिए हरसंभव प्रयास करें|
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