Saturday, October 3, 2015

हमारी वास्तविकता है.

एक आदमी ने अपने गुरूजी को गाय भेंट की।
गुरूजी ने बोला - चलो रोज़ दूध पीने को मिलेगा।
कुछ दिन बाद वह आदमी अपनी गाय ले गया।
तब गुरूजी ने बोला - चलो अच्छा हुआ अब रोज़ रोज़ गोबर नहीं उठाना पड़ेगा।
तात्पर्य यह है की हर हाल में खुश रहो.
हम इंसानों की एक ही समस्या होती है कि हम किसी भी चीज से इतना बंध जाते हैं कि अगर हमारी जिंदगी में थोड़ा सा भी बदलाव आये तो हम उसको स्वीकार नहीं कर पाते और उस बदलाओ को Positivity के साथ Opportunity की तरह इस्तेमाल करने की बजाये उसके बारे में Negative ही Negative सोचते रहते हैं और जहाँ पर हैं वहीं रह जाते हैं.
एक बार की बात है कि .......... एक बाज का अंडा .............. मुर्गी के अण्डों .......... के बीच आ गया.
कुछ दिनों बाद उन अण्डों में से चूजे निकले, बाज का बच्चा भी उनमे से एक था. वो उन्ही के बीच बड़ा होने लगा. वो वही करता जो बाकी चूजे करते, मिटटी में इधर-उधर खेलता, दाना चुगता और दिन भर उन्हीकी तरह चूँ-चूँ करता. बाकी चूजों की तरह वो भी बस थोडा सा ही ऊपर उड़ पाता और पंख फड़-फडाते हुए नीचे आ जाता . फिर एक दिन उसने एक बाज को खुले आकाश में उड़ते हुए देखा, बाज बड़े शान से बेधड़क उड़ रहा था.
तब उसने बाकी चूजों से पूछा, कि -
” इतनी उचाई पर उड़ने वाला वो शानदार पक्षी कौन है?”
तब चूजों ने कहा-” अरे वो बाज है, पक्षियों का राजा, वो बहुत ही ताकतवर और विशाल है , लेकिन तुम उसकी तरह नहीं उड़ सकते क्योंकि तुम तो एक चूजे हो!”
बाज के बच्चे......... ने इसे सच मान लिया और कभी वैसा बनने की कोशिश नहीं की. वो ज़िन्दगी भर चूजों की तरह रहा और एक दिन बिना अपनी असली ताकत पहचाने ही मर गया.
दोस्तों, हममें से बहुत से लोग उस बाज की तरह ही अपना असली potential जाने बिना ज़िन्दगी जीते रहते हैं. हम ये भूल जाते हैं कि हम अपार संभावनाओं से पूर्ण एक प्राणी हैं. हमारे लिए इस जग में कुछ भी असंभव नहीं है,पर फिर भी बस हम इतने बड़े मौके को गँवा देते हैं.
हमें चूजों की तरह नहीं बनना, हमें अपने आप पर, अपनी काबिलियत पर भरोसा करना चाहिए.
हम चाहे जहाँ हों, जिस परिवेश में हों, अपनी क्षमताओं को पहचाने और आकाश की ऊँचाइयों पर उड़ कर दिखाएं क्योंकि यही हमारी वास्तविकता है.

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