पूरा नाम – महादेवी स्वरूप नारायण वर्मा
जन्म – 26 मार्च 1907
जन्मस्थान – फ़र्रुख़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
पिता – श्री गोविंद प्रसाद वर्मा
माता – हेमरानी देवी
विवाह – श्री स्वरूप नारायण वर्मा
Mahadevi Verma In Hindi
महादेवी वर्मा/ Mahadevi Verma हिंदी की सर्वाधिक प्रतिभावान कवियित्रियो में से एक थी और स्वतंत्रता सेनानी भी थी. महादेवी वर्मा जी हिंदी साहित्य में 1914 से 1938 तक छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती है. आधुनिक हिंदी की सबसे सशक्त कवियित्रियो में से एक होने के कारण उन्हें “आधुनिक मीराबाई ” के नाम से भी जाना जाता है. समय के साथ, उनके सिमित लेकिन अप्रतिम गद्य को एकमात्र हिंदी साहित्य माना जाता है. वे हिंदी कवी सम्मलेन की प्रमुख कवियित्री थी.वो प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्राचार्य और फिर उप-कुलाधिपति रह चुकी है, जो अहमदाबाद में महिलाओ का निवासी महाविद्यालय है. उनके जीवन भर की उपलब्धियों जैसे साहित्य अकादमी अनुदान 1979 में, और 1982 के जनानपीठ पुरस्कार को देखते हुए उन्हें भारत का सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार दिया गया. उन्हें 1956 में पदम् भूषण और 1988 में पदम् विभूषण से सम्मानित किया गया, जो भारत का तीसरा और नागरिकत्व का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान है.
महादेवी वर्मा का जीवन परिचय / Mahadevi Verma Biography In Hindi
महादेवी वर्मा का जन्म फरुखाबाद में हुआ था. उनकी शिक्षा जबलपुर, मध्य प्रदेश से हुई. वो गोविन्द प्रसाद वर्मा और हेम्मा रानी की सबसे बड़ी बच्ची थी. उनकी बचपन में डॉ.स्वरुप नारायण वर्मा, से शादी कर दी गयी. महादेवी जी उनके माता पिता के साथ रहती थी, जबकि उनके पति लखनऊ से अपनी पढाई पूरी कर रहे थे, इसी समय महादेवी ने अपना उच्च शिक्षण अल्लाहाबाद यूनिवर्सिटी से B.A की परीक्षा 1929 में पूरी कर उनकी मास्टर डिग्री 1933 M.A संस्कृत में की.1966 में उनके पति की मृत्यु पश्यात, वो हमेशा के लिए अल्लाहाबाद चली गयी और उनकी मृत्यु तक वही रही.
महादेवी को अल्लाहाबाद(प्रयाग) महिला विद्यापीठ की प्रथम प्रधानाध्यापिका नियुक्त किया गया, उन्होंने ये सब इस उद्देश से शुरू किया की वे लडकियों को हिंदी भाषा में भारत का ज्ञान और परम्पराओ को पढ़ा सके और उन्हें सुशिक्षित बना सके. बाद में वे विद्यापीठ(संस्था) की कुलाधिपति बनी.
महादेवी वर्मा का प्रारंभिक जीवन / Mahadevi Verma Early Life In Hindi :
“मेरे बचपन के दिन”, उन्होंने उस समय ये किताब लिखी थी जब वे लोग बेटियों को परिवार का बोझ समझते थे, वो अपने आप को किस्मत वाली समझती थी की वो पढ़े लिखे परिवार में जन्मी. उन्होंने Crosthwaite Girls College, अहमदाबाद में एडमिशन लिया. महादेवी जी के अनुसार, उन्होंने एकता की ताकत को Crosthwaite के हॉस्टल में सिखा था, जहा सभी धर्मो के विद्यार्थी एक साथ एक ही जगह पर रहते थे. महादेवी जी ने गुप्त रूप से कविताये लिखना शुरू किया. लेकिन गुप्त रूप से उनकी रूम-मेट और सीनियर सुभद्रा कुमारी चौहान उनपर नजर रखते थे, और उन्ही की वजह से उनमे छुपा कविता लिखने का गुण बाहर आया. और अब महादेवी जी और सुभद्रा जी खाली समय में साथ में कविताये लिखा करते थे. उनकी माता संस्कृत और हिंदी में निपुण थी और उन्हें उसका ज्ञान भी था. महादेवी अपने कवीयित्री बनने का पूरा श्रेय अपनी माता को देती थी, क्योकि उन्होंने उसे हमेशा अच्छी कविताये लिखने के लिए प्रेरित किया, और हमेशा हिंदी भाषा में उनकी रूचि बढाई.
जब दुसरे विद्यार्थी बाहर खेलते थे, तब मै (महादेवी) और सुभद्रा उस समय किसी पेड़ के निचे बैठते थे, और दोनों के रचनात्मक विचारो को बाहर लाते थे…वो (सुभद्रा) खरीबोली में अपनी कविताये लिखती थी, और फिर मैंने भी खड़ीबोली में लिखना शुरू किया… इस तरह हम दिन में एक से दो कविताये लिख लेते थे.
-महादेवी वर्मा, मेरे बचपन के दिन
महादेवी और सुभद्रा अपनी कविताओ को साप्ताहिक पत्रिका में प्रकाशन के लिए भी भेजते थे, जिनमे से उनकी कुछ कविताओ को प्रकाशित किया जाता था. दोनों कवियित्री कई कविताओ के समेंलन में भी उपस्थित रहती थी, जहा वे कई विख्यात कवियों से मिलती रहती, और दर्शको को उनकी कविताये भी सुनती. उनकी यह जुगलबंदी तब तक चलती रही जब तक सुभद्रा Crosthwaite से स्नातक नहीं होती.महादेवी जी के कार्य :
महादेवीजी को छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माना जाता है, वो एक विख्यात चित्रकार भी थी. उन्होंने अपनी कविताओ के लिए कई सारे दृष्टांत बनाये जैसे हिंदी और यमा. उनके अन्य काम लघु कथा जैसे “गिल्लू”, जो उनके गिलहरी के साथ वाले अनुभवों के बारे में कहता है और “नीलकंठ” जो उनके मोर के साथ वाले अनुभव को दर्शाता है, जो सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ सेकेंडरी एजुकेशन के 7 वी के पाठ्यक्रम में भी शामिल किया गया है. उन्होंने “गौरा” भी लिखी, जो उनके सच्चे जीवन पर आधारित है, इस कहानी में उन्होंने एक सुन्दर गाय के बारे में लिखा है. महादेवी वर्मा उनके बचपन के संस्मरण, “मेरे बचपन के दिन और गिल्लू” के लिए भी विख्यात है. जो सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ सेकेंडरी एजुकेशन के 9 वी कक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किये गये है.
उनके द्वारा लिखी उनके पालतू पशुओ की कहानिया भी बहोत प्रसिद्द है.
महादेवी वर्मा जी की कविताये / Mahadevi Verma Poem In Hindi :
उनकी कई सारी कविताओ का प्रकाशन अलग-अलग शीर्षक के साथ किया गया, लेकिन वे सारी कविताये उनकी निचे दी हुई रचनाओ से ही ली गयी है. जिनमे शामिल है—
1) नीहार (1930)
2) रश्मि (1932)
3) नीरजा (1934)
4) संध्यागीत (1936)
5) दीपशिखा (1939)
6) अग्निरेखा (1990, उनकी मृत्यु के बाद प्रकाशित)
इन सारे संग्रहों की अतिरिक्त विशेषता यह थी की इनमे नयी “भूमिकाये” थी और आरंभिक नोट थी जो महादेवी जी ने अनोखी शैली में लिखी थी. उन्होंने कई सारी विख्यात कहानिया भी लिखी जैसे—
1) अतीत के चलचित्र
2) स्मृति की रेखाये
3) श्रंखला की कडिया
4) घीसा
महादेवी वर्मा जी के पुरस्कार / Mahadevi Verma Awards :
महादेवी वर्मा के रचनात्मक गन और तेज़ बुद्धि ने जल्द ही उन्हें हिंदी भाषा की दुनिया में एक उच्च पद पर पहुचाया. 1934 में, उनके द्वारा रचित “नीरजा” के लिए हिंदी साहित्य सम्मलेन ने उन्हें सेकसरिया पुरस्कार से सम्मानित किया. उनकी कविताओ का संग्रह (यमा, 1936) को जनिपथ पुरस्कार मिला, जो साहित्य क्र क्षेत्र में भारत का सर्वोच्च सम्मान है.
उन्हें अल्लाहाबाद यूनिवर्सिटी के भूतपूर्व छात्र एसोसिएशन, एनसीआर, गाज़ियाबाद की ओर से “गरिमा प्राप्त अतीत के व्यक्ति” की 42 सदस्यों की सूचि में शामिल किया गया.
भारत सरकार ने उन्हें पदम् भूषण प्रदान किया, वो पहली महिला है जिन्हें 1979 में साहित्य अकादमी अनुदान का पुरस्कार दिया गया. 1988 में, भारत सरकार ने उन्हें पदम् विभूषण प्रदान किया, जो भारत सरकार का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है.
Thanks....
nice motivate stories..
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